*अथ जायाभावफलाध्यायः ॥ १८॥
जायाभावफलं वक्ष्ये स्रृणु त्वं द्विजसत्तम ।
जायाधिपे स्वभे स्वोच्चे स्त्रीसुखं पूर्णमादिशेत् ॥ १॥
सप्तमेश अगर स्वराशी या उच्च का हो तो ज्योतिषी को स्त्री का पूर्ण सुख कहना चाहिए
If the lord of 7th house is placed in own sign or in exaltation, one should predict complete
happiness on account of wife.
कलत्रपो विना स्वर्क्षं व्ययषष्ठाष्टमस्थितः ।
रोगिणीं कुरुते नारीं तथा तुङ्गादिकं विना ॥ २॥
सप्तमेश यदि स्वराशी, स्वोच्च को छोड़ कर 6 / 8 / 12 में बैठा हो तो जातक की पत्नी रोगिणी होती है |
If 7th lord is placed in 6/8/12 houses not in own sign or exaltation, it makes the wife diseased.
(Maharishi Parashar has excluded Mesha (12H), Vrishabha lagna (12H), Karka lagna (8H),
Simha (6H), Tula (6H) and Vrischika lagna (12H) in this shloka)
सप्तमे तु स्थिते शुक्रेऽतीवकामी भवेन्नरः ।
यत्रकुत्रस्थिते पापयुते स्त्रीमरणं भवेत् ॥ ३॥
शुक्र यदि सप्तम भाव में स्थित हो तो पुरुष अतिकामी होता है | शुक्र पाप युक्त कही भी बैठा हो पत्नी की मृत्यु हो
जाती है |
If Venus is placed in 7th house, man will be highly sensual and desirous of sex. If Venus is placed
in any house conjunct malefic, it causes death of wife.
जायाधीशः शुभैर्युक्तो दृष्टो वा बलसंयुतः ।
तदा जातो धनी मानी सुखसौभाग्यसंयुतः ॥ ४॥
सप्तमेश बलि होकर शुभयुक्त या शुभदृष्ट हो तो जातक धनी मानी एवं सुख सोभाग्य से युक्त होता है | If seventh lord is strong and conjunct or aspected by benefic, native will be wealthy, honorable,
happy and fortunate.
नीचे शत्रुगृहेऽस्ते वा निर्बले च कलत्रपे ।
तस्यापि रोगिणी भार्या बहुभार्यो नरो भवेत् ॥ ५॥
सप्तमेश नीच राशी में या शत्रु राशी में या अस्त होने के कारण निर्बल हो तो जातक की पत्नी रोगिणी होती है और
जातक की कई पत्निया होती है |
If seventh lord is weak due to debilitation or placement in inimical sign or combustion, wife of
the native will be diseased and native may have many wives.
मन्दभे शुक्रगेहे वा जायाधीशे शुभेक्षिते ।
स्वोच्चगे तु विशेषेण बहुभार्यो नरो भवेत् ॥ ६॥
सप्तमेश यदि शनि या शुक्र की राशियो में स्थित होकर (2,7,10,11) शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो जातक की कई पत्निया
होती है | यदि सप्तमेश स्वोउच्च मे हो तो विशेष तथा उक्त फल होता है |
When seventh lord is placed in signs of Venus or Saturn (2,7,10,11) and also aspected by benefic,
native will have many wives. This result is especially applicable when seventh lord is exalted.
वन्ध्यासङ्गो मदे भानौ चन्द्रे राशिसमस्त्रियः ।
कुजे रजस्वलासङ्गो वन्ध्यासङ्गश्च कीर्तितः ॥ ७॥
सूर्य यदि सप्तम भाव में स्थित हो जातक बाँझ स्त्री से, चन्द्र हो तो राशी अनुसार, मंगल हो तो रजस्वला या
बाँझ स्त्री से संपर्क होता है |
If sun is placed in 7th house, native will have company of barren woman. If Moon is placed in
7th house, native will have company of woman according to the sign placement of Moon. If
Mars is the planet, than native will have accompany woman who is barren and/or under menses.
बुधे वेश्या च हीना च वणिक् स्त्री वा प्रकीर्तिता ।
गुरौ ब्राह्मणभार्या स्याद्गर्भिणीसङ्ग एव च ॥ ८॥
वो ग्रह अगर बुध हो तो वैश्या या हीन या व्यापारी की स्त्री से संपर्क होता है | गुरु हो तो ब्राह्मण की स्त्री से या गर्भवती
स्त्री संपर्क होता है |
If the planet is Mercury, native will accompany prostitute or base woman or woman belonging to
business class people (Vashya Varna). If Jupiter is the planet, native will accompany Brhamin or
a pregnant woman.
हीना च पुष्पिणी वाच्या मन्दराहुफणीश्वरैः |
शनि राहू या केतु हो तो हीन एवं रजस्वला स्त्री से संपर्क होता है | If planet concerned is Saturn, Rahu or Ketu,
native will accompany base woman under menses.
कुजेऽथ सुस्तनी मन्दे व्याधिदौर्बल्यसंयुता ॥ ९॥
अगर मंगल हो सुस्तन वाली स्त्री से, शनि हो तो कमजोर एवं बीमार स्त्री से संपर्क होता है | If Mars is the planet,
native will accompany woman having attractive breast. If Saturn, with weak and sickly woman.
कठिनोर्ध्वकुचार्ये च शुक्रे स्थूलोत्तमस्तनी ।
गुरु हो तो कठोर ऊँचे स्तनों वाली, शुक्र हो तो स्थूल एवं उत्तम स्तनों वाली स्त्री से | If Jupiter, with woman having
hard and prominent breast. If Venus, with woman having bulky, perfect and excellent breast.
पापे द्वादशकामस्थे क्षीणचन्द्रस्तु पञ्चमे ॥ १०॥
जातश्च भार्यावश्यः स्यादिति जातिविरोधकृत् ।
यदि 7,12 में पाप ग्रह हो तथा पंचम में क्षीण चंद्रमा हो तो जातक अपनी पत्नी के वश में रहने वाला और अपने
बन्धु बान्धवों का विरोध करने वाला होता है |
In malefic are placed in 7,12 houses and weak Moon is placed in 5th house, native will be under
control of his wife and will oppose people of his community.
जामित्रे मन्दभौमे च तदीशे मन्दभूमिजे ॥ ११॥
वेश्या वा जारिणी वाऽपि तस्य भार्या न संशयः ।
यदि सप्तम स्थान में शनि या मंगल हो और वो सप्तमेश भी हो तो जातक की पत्नी वैश्या या परपुरुष गामिनी होती है
इसमें कोई संशय नहीं है |
If Saturn or Mars is placed in 7th house as 7th lord, spouse of the native is either prostitute or
forms illicit relationships undoubtedly.
भौमांशकगते शुक्रे भौमक्षेत्रगतेऽथवा ॥ १२॥
भौमयुक्ते च दृष्टे वा भगचुम्बनभाग् भवेत् ।
शुक्र अगर मंगल की राशी या नवांश में स्थित हो और मंगल से युक्त या दृष्ट भी हो
तो जातक स्त्री की योनी को चूमता है |
If Venus is placed in rasi or Navamsa or Mars and conjunct or aspected by Mars, native will kiss
the genitals of his wife.
मन्दांशकगते शुक्रे मन्दक्षेत्रगतेऽपि च ॥ १३॥
मन्दयुक्ते च दृष्टे च शिश्नचुम्बनतत्परः ।
शुक्र अगर शनि की राशी और शनि के नवांश में स्थित हो और शनि से युक्त, दृष्ट भी हो तो जातक लिंग चुम्बन करता है
(जातक समलैंगिक हो सकता है)
If Venus is placed in rasi and Navamsa of Saturn and also conjunct or aspected by Saturn, native
will kiss male genital organ (As he may be homosexual)
दारेशे स्वोच्चराशिस्थे मदे शुभसमन्विते ॥ १४॥
लग्नेशो बलसंयुक्तः कलत्रस्थानसंयुतः ।
तद्भार्या सद्गुणोपेता पुत्रपौत्रप्रवर्धिनी ॥ १५॥
सप्तमेश उच्च राशी में हो, सप्तम में शुभ ग्रह हो, बलि लग्नेश सप्तम स्थान में हो
तो जातक की भार्या सद्गुणी और पुत्र पौत्रों की वृद्धि करने वाली होती है | (अर्थात कुलवर्धिनी होती है )
If 7th lord is exalted and 7th house is occupied by benefic; strong lagna lord is placed in 7th house,
native wife will be endowed with virtues and will contribute for continuation of dynasty through
sons and grand sons.
कलत्रे तत्पतौ वापि पापग्रहसमन्विते ।
भार्याहानिं वदेत् तस्य निर्बले च विशेषतः ॥ १६॥
सप्तम भाव या सप्तमेश पाप ग्रह से युक्त हो तो स्त्री की हानि कहनी चाहिए, विशेषकर जब
सप्तम भाव / सप्तमेश निर्बल भी हो |
If 7th house is occupied by malefic or 7th lord is conjunct malefic, astrologer should predict
loss of wife especially when 7H/7L is weak.
षष्ठाष्टमव्ययस्थाने मदेशो दुर्बलो यदि ।
नीचराशिगतो वापि दारनाशं विनिर्दिशेत् ॥ १७॥
निर्बल सप्तमेश 6/8/12 में हो या नीच राशी में हो तो स्त्री का नाश कहना चाहेए |
If weak 7th lord is placed in 6/8/12 houses or in debilitation, one should predict loss of wife.
कलत्रस्थानगे चन्द्रे तदीशे व्ययराशिगे ।
कारको बलहीनश्च दारसौख्यं न विद्यते ॥ १८॥
चन्द्र सप्तम स्थान में हो, सप्तमेश द्वादश में हो, कारक (शुक्र) बलहीन हो तो पत्नी का सुख प्राप्त नहीं होता |
If Moon is placed in 7th house; 7th lord is placed is placed in 12th house and significator (Venus)
is weak, native does not get happiness on account of wife.
सप्तमेशे स्वनीचस्थे पापर्क्षे पापसंयुते ।
सप्तमे क्लीवराश्यंशे द्विभार्यो जातको भवेत् ॥ १९॥
सप्तमेश नीच राशी या पाप राशी में होकर पाप ग्रह से युक्त हो; सप्तम स्थान में नपुंसक नवांश हो
तो जातक की दो पत्निया होती है | (बुध - शनि की राशियाँ नपुंसक राशियाँ है - 3,6,10,11)
In 7th lord is debilitated or placed in malefic signs and also conjunct malefic; and there is
eunuch Navamsa rising in 7th house, native will have two wives.
कलत्र्स्थानगे भौमे शुक्रे जामित्रगे शनौ ।
लग्नेशे रन्ध्रराशिस्थे कलत्रत्रयवान् भवेत् ॥ २०॥
शुक्र / मंगल सप्तम स्थान में हो, साथ में शनि सप्तम में हो और लग्नेश अष्टम में हो तो तीन पत्नियाँ होती है |
Venus / Mars in 7th house conjunct Saturn and LL in 8th house gives three wives.
द्विस्वभावगते शुक्रे स्वोच्चे तद्राशिनायके ।
दारेशे बलसंयुक्ते बहुदारसमन्वितः ॥ २१॥
शुक्र द्विस्वभाव राशी में हो और शुक्र का रशिपति उच्च हो; सप्तमेश बलवान हो तो बहुत पत्नियाँ होती है |
Venus in dual sign and its dispositor in exaltation with strong 7L gives many wives.
दारेशे शुभराशिस्थे स्वोच्चस्वर्क्षगतो भृगुः ।
पञ्चमे नवमेऽब्दे तु विवाहः प्रायशो भवेत् ॥ २२॥
सप्तमेश शुभ राशी में हो; शुक्र उच्च / स्व राशी में हो तो प्रायः 5/9 वर्ष में विवाह होता है |
If 7L is placed in benefic sign and Venus in own / exaltation sign, native generally marries in
5 or 9 years
दारस्तानं गते सूर्ये तदीशे भृगुसंयुते ।
सप्तमैकादशे वर्षे विवाहः प्रायशो भवेत् ॥ २३॥
सूर्य सप्तम स्थान में हो, सप्तमेश शुक्र के साथ हो तो प्रायः 7/11 वर्ष में विवाह हो जाता है |
Sun in 7th house and 7L with Venus generally gives marriage in 7th or 11th year.
कुटुम्बस्थानगे शुक्रे दारेशे लाभराशिगे ।
दशमे षोडशाऽब्दे च विवाहः प्रायशो भवेत् ॥ २४॥
शुक्र द्वितीय भाव में हो, सप्तमेश एकादश में हो तो प्रायः 10 / 16 वर्ष में विवाह होता है |
Venus in 2H and 7L in 11H generally gives marriage in 10th or 16th year.
लग्नकेन्द्रगते शुक्रे लग्नेशे मन्दराशिगे ।
वत्सरैकादशे प्राप्ते विवाहं लभते नरः ॥ २५॥
लग्न से केंद्र में शुक्र हो, सप्तमेश शनि की (10 / 11 ) राशी में हो तो 11 वर्ष में विवाह होता है |
Venus in kendra from lagna and 7L in signs of Saturn gives marriage in 11th year.
लग्नात् केन्द्रगते शुक्रे तस्मात् कामगते शनौ ।
द्वादशैकोनविंशे च विवाहः प्रायशो भवेत् ॥ २६॥
लग्न से केंद्र में शुक्र हो और शुक्र से सप्तम में शनि तो प्रायः 12 / 19 वर्ष की आयु में विवाह होता है |
Venus in kendra from lagna and Saturn in 7th house from Venus generally gives
marriage in 12th or 19th year.
चन्द्राज्जामित्रगे शुक्रे शुक्राज्जामित्रगे शनौ ।
वत्सरेऽष्टादशे प्राप्ते विवाहं लभते नरः ॥ २७॥
चन्द्र से सप्तम में शुक्र हो औ शुक्र से सप्तम में शनि तो १८ वर्ष की आयु में विवाह होता है |
Venus in 7th house from Moon and Saturn in 7th house from Venus gives marriage in 18th year.
धनेशे लाभराशिस्थे लग्नेशे कर्मराशिगे ।
अब्दे पञ्चदशे प्राप्ते विवाहं लभते नरः ॥ २८॥
धनेश एकदश में हो, लग्नेश दशम हो तो १५ वर्ष की आयु में विवाह होता है |
2L in 11H and LL in 10th gives marriage in 15th year
धनेशे लाभराशिश्ते लाभेशे धनराशिगे ।
अब्दे त्रयोदशे प्राप्ते विवाहं लभते नरः ॥ २९॥
धनेश लाभ स्थान में और लाभेस धन स्थान में हो तो १३ वर्ष की आयु में विवाह होता है |
Exchange of 2L - 11L gives marriage in 13th year.
रन्ध्राज्जामित्रगे शुक्रे तदीशे भौमसंयुते ।
द्वाविंशे सप्तविंशेऽब्दे विवाहं लभते नरः ॥ ३०॥
अष्टम से सप्तम में शुक्र हो और शुक्र का राशी स्वामी मंगल से युक्त हो तो 22वें या 27वें वर्ष में विवाह होता है |
Venus is placed in 7H from 8H (i.e. 2H) and dispositor of Venus is conjunct Mars,
native marries in 22nd or 37th year.
दारांशकगते लग्ननाथे दारेश्वरे व्यये ।
त्रयोविंशे च षड्विंशे विवाहं लभते नरः ॥ ३१॥
लग्नेश सप्तम के नवांश में हो; सप्तमेश द्वादश में हो तो 23वें / 26वें वर्ष में विवाह होता है |
(उदहारण : तुला लग्न की कुंडली में लग्नेश शुक्र मेष नवांश में हो )
LL is placed in Navamsa chart in rasi belonging to 7H of rasi chart & 7L in 12th house gives marriage
in 23/26 year. Ex: In Libra lagna, Venus placed in Mesha Navamsa.
रन्ध्रेशे दारराशिस्थे लग्नांशे भृगुसंयुते ।
पञ्चविंशे त्रयस्त्रिंशे विवाहं लभते नरः ॥ ३२॥
अष्टमेश सप्तम में हो, शुक्र लगन नवांश में हो तो 25 / 33 वर्ष में विवाह होता है |
8L in 7H and Venus in Navamsa lagna gives marriage in 25 / 33 year
भाग्याद्भाग्यगते शुक्रे तद्द्वये राहुसंयुते ।
एकत्रिंशास्त्रयस्त्रिंशे दारलाभं विनिर्दिशेत् ॥ ३३॥
भाग्य से भाग्य स्थान में शुक्र हो (5H); राहू 5/9 में हो तो 31/33 वर्ष में विवाह होता है |
If Venus is placed in 9th from 9th house (i.e. 5H); Rahu is also placed in either of 5/9 house, native
marries in 31/33 year.
भाग्याज्जामित्रगे शुक्रे तद्द्वूने दारनायके ।
त्रिंशे वा सप्तविंशाब्दे विवाहं लभते नरः ॥ ३४॥
शुक्र नवम से सप्तम में हो (तृतीय भाव); नवम में सप्तमेश हो तो 30 / 27 वर्ष में विवाह होता है |
If Venus is placed in 7H from 9th (3H) and 7L in 9th, native marries in 30 / 27 year.
दारेशे नीचराशिस्थे शुक्रे रन्ध्रारिसंयुते ।
अष्टादशे त्रयस्त्रिंशे वत्सरे दारनाशनम् ॥ ३५॥
सप्तमेश नीच राशी में हो, शुक्र 8/6 में हो तो 18 / 33 वर्ष में पत्नी का नाश हो जाता है |
(विवाह के 18 वर्ष या 33 वर्ष पश्चात)
7L in debilitation and Venus in 8/6 houses destroys wife after 18 or 33 years of marriage.
मदेशे नाशराशिस्थे व्ययेशे मदराशिगे ।
तस्य चैकोनविंशाब्दे दारनाशं विनिर्दिशेत् ॥ ३६॥
सप्तमेश अष्टम में हो, द्वादशेश सप्तम में हो तो 19 वे वर्ष में (विवाह से) पत्नी का नाश कहना चाहेए |
7L in 8H and 12L in 7H causes destruction of spouse after 19th year of marriage.
कुटुम्बस्थानगो राहुः कलत्रे भौमसंयुते ।
पाणिग्रहे च त्रिदिने सर्पदष्टे वधूमृतिः ॥ ३७॥
राहू द्वितीय स्थान में हो, सप्तम में मंगल हो तो विवाह से तीन दिनों में सर्प के
काटने से पत्नी की म्मृत्यु हो जाती है
Rahu in 2H and Mars in 7H causes death of wife within 3 days due to snake bite
रन्ध्रस्थानगते शुक्रे तदीशे सौरिराशिगे ।
द्वादशैकोनविंशाब्दे दारनाशं विनिर्दिशेत् ॥ ३८॥
शुक्र अष्टम में हो, शुक्र का राशी स्वामी शनि की राशी (10/11) में हो तो 12 / 19 वर्ष में पत्नी की
मृत्यु कहनी चाहेए |
Venus in 8H and dispositor of Venus in sign of Saturn causes death of wife in 12 or 19 year
after marriage
लग्नेशे नीचराशिस्थे धनेशे निधनं गते ।
त्रयोदशे तु सम्प्राप्ते कलत्रस्य मृतिर्भवेत् ॥ ३९॥
लग्नेश नीच राशी में हो, धनेश अष्टम में गया हो तो 13 वें वर्ष में (विवाह पश्चात्) स्त्री की मृत्यु हो जाती है |
If LL is debilitated and 2L is placed in 8H, wife dies in 23rd year after marriage
शुक्राज्जामित्रगे चन्द्रे चन्द्राज्जामित्रगे बुधे ।
रन्ध्रेशे सुतभावस्थे प्रथमं दशमाब्दिकम् ॥ ४०॥
द्वाविंशे च द्वितीयं च त्रयस्त्रिंशे तृतीयकम् ।
विवाहं लभते मर्त्यो नाऽत्र कार्या विचारणा ॥ ४१॥
शुक्र से सप्तम में चन्द्र हो; चन्द्र से सप्तम में बुध हो; अष्टमेश पंचम में हो तो पहला विवाह दस वर्ष में,
दूसरा 22 वर्ष में, तीसरा 33 वर्ष में होता है | इसमें कोई संशय - विचार नहीं करना चाहेए |
If Moon is placed in 7H from Venus and Mercury is placed in 7H from Moon; 8L is placed in 5H
first marriage takes place in 10th year; 2nd in 22nd year and 3rd in 33rd year. No further
consideration is required in this regard.
षष्ठे च भवने भौमः सप्तमे राहुसंस्थितिः ।
अष्टमे च यदा सौरिस्तस्य भार्या न जीवति ॥ ४२॥
षष्ट में मंगल हो, सप्तम में राहू और अष्टम में शनि तो पत्नी जीवित नहीं रहती |
Wife does not live long when Mars is placed in 6H, Rahu in 7H and Saturn in 8H
S Kuber RA
Jyotish Acharaya
Vedic and Lal Kitab Astrologer
*Samskrit Shlokas sourced by
http://sanskritdocuments.org/doc_z_misc_sociology_astrology/par1120.html?lang=sa
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